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पुरुषों के लिए यौनिक स्वास्थ्य / Sexuality for Men

यौनिक क्रियाशीलता पक्षाघात वाले पुरुषों के लिए चिंता का प्रमुख विषय होती है। पुरुष यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि क्या वे अभी भी ''वैसे ही सक्षम'' हैं या फिर यौनिक आनंद अतीत की बात बनकर रह गया है। वे इस बात को लेकर चिंतित होते हैं कि अब वे बच्चों के पिता नहीं बन सकेंगे, उनके जोड़ीदार उन्हें अनाकर्षक पाएंगे, कि जीवन-साथी अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर उनके पास से चला जाएगा। यह सच है कि बीमारी या चोट के बाद पुरुष अक्सर ही अपने रिश्तों और यौनिक गतिविधि में परिवर्तन का सामना करते हैं। बेशक, भावनात्मक परिवर्तन घटित होते हैं और ये परिवर्तन व्यक्ति की यौनिकता को प्रभावित कर सकते हैं।
इस बात पर गौर करना जरूरी है कि स्वस्थ यौनिकता से महज जननांग का संपर्क ही नहीं बल्कि जोश, स्नेहशीलता और प्रेम जुड़ा होता है। फिर भी, पक्षाघात के बाद उन्नत शिश्न और कामोन्माद शीर्ष महत्व के मुद्दे होते हैं। सामान्यत: पुरुषों में दो प्रकार का स्तंभन होता है। साइकोजेनिक स्तंभन प्रुरिएंट दृश्यों या विचारों से उत्पन्न होता है और पक्षाघात के स्तर एवं हद पर निर्भर करता है। पूर्ण पक्षाघात वाले पुरुषों में प्राय: साइकोजेनिक स्तंभन नहीं होता। रिफलेक्स स्तंभन लिंग या अन्य कामोत्तेजक जोन्स (कान, चुचुक, गर्दन) के साथ सीधे संपर्क के द्वारा अनिच्छा से हो जाता है। पक्षाघात वाले अधिकतर पुरुष अनिच्छा वाले स्तंभन में समर्थ होते हैं बशर्ते कि सैक्राल रीढ़ रज्जु (एस2-एस4) क्षतिग्रस्त न हों।
पक्षाघात के बाद कामोन्माद कुछ पुरुषों के लिए संभव है लेकिन यह अक्सर वैसा नहीं होता जैसा कि प्राय: परिभाषित होता है। यह कम दैहिक, जननांगों पर कम केंद्रित और मन की स्थिति अधिक बन सकता है। यह जानना जरूरी है कि उत्तेजना यौनिकता की हानि को असंभव नहीं बनाती।
जहां पक्षाघात वाले अनेक पुरुष अभी भी ''स्तंभन प्राप्त'' करते हैं पर स्तंभन सहवास के लिए पर्याप्त कठोर या लंबे समय तक चलने वाला नहीं होता। शिश्न का स्तंभन रुक जाने (ईडी) का उपचार करने के लिए असंख्य उपचार (गोलियां, टैबलेट, सुई और रोपण) उपलब्ध हैं।

ईडी के लिए सबसे अच्छा क्लीनिकल उपचार वियाग्रा (सिल्डेनफिल) है, यह बहुत से पैराप्लेजिक पुरुषों में स्तंभन की गुणवत्ता एवं यौनिक गतिविधि को बेहतर बनाती है। इस बात के कुछ क्लीनिकल साक्ष्य हैं कि एमएस वाले पुरुष वियाग्रा से लाभ उठाते हैं। रक्तचाप की समस्या वाले (उच्च या निम्न) या वाहिकीय बीमारी वाले पुरुषों को इस दवा से बचना चाहिए। वियाग्रा की कारगरता से भी बढ़कर होने का दावा करने वाली अन्य नयी औषधियों में सियालिस और लेवित्रा शामिल हैं। हो सकता है कि लकवाग्रस्त पुरुषों के लिए वे रामबाण हों पर कोई क्लीनिकल आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। स्तंभन के एक अन्य विकल्प के तहत लिंग के तने में औषधि (पैपावाराइन या एल्प्रोस्टाडिल) इंजेक्ट की जाती है। इससे कठोर स्तंभन होता है जो कि एक घंटा या अधिक समय तक बना रह सकता है। चेतावनी : ये दवाओं के फलस्वरूप प्रिपिज्म, देर तक बना रहने वाला स्तंभन, उत्पन्न हो सकता है जो कि लिंग को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा इंजेक्शन स्तंभन खरोंच देने, डराने या संक्रमण पैदा करने का कारण भी बन सकता है और हो सकता है कि हाथ की सीमित सक्रियता वाले व्यक्ति के लिए सर्वोत्तम विकल्प न हो।
मेडिकेटेड मूत्रमार्गीय सपोजिटरि एक और विकल्प होता है। ड्रग पेलेट (एलप्रोस्टैडिल वाली) मूत्रमार्ग में रखी जाती है, जिससे रक्त नलिकाएं ढीली पड़ जाती हैं और लिंग को रक्त से भर देती हैं। यह 30 से 40 प्रतिशत उन पुरुषों के लिए एक विकल्प हो सकता है जिन पर वियाग्रा असर नहीं करती।
वैक्यूम पम्प स्तंभन लाने का बिना चीर-फाड़ वाला, गैर-औषधीय तरीका होता है। लिंग को प्लास्टिक सिलेंडर में रखा जाता है, जब हवा बाहर निकाली जाती है तो रक्त लिंग में प्रवेश करता है। लिंग के आधार के इर्दगिर्द एक इलास्टिक बैंड रखकर सख्तपने को बनाये रखा जाता है। यह नीलाभ सा दिखने वाला स्तंभन उत्पन्न करता है जो कि छूने पर ठंढा सा जान पड़ सकता है। त्वचा में खिंचाव से बचने के लिए 30 मिनट बाद बैंड को निकालना नहीं भूलें। मेडिकेयर और इंश्योरेंस कंपनियां अक्सर हाथ की सीमित सक्रियता वाले लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ बैटरी संचालित मॉडल समेत इन डिवाइसेस के लिए भुगतान करती हैं (हालांकि आपको नुस्खे की जरूरत पड़ेगी)।
पेनाइल प्रोसथेसिस (एक अर्द्ध-सख्त या नमनीय रॉड या हवा वाली डिवाइस) एक अन्य विकल्प है लेकिन चूंकि यह स्थायी किस्म का और सर्जरी के जरिये लगने वाला होती है इसलिए अन्य विकल्पों के मुकाबले जटिलताओं के लिए यह ज्यादा जोखिम भरी होती है। सर्जरी की वजह से रक्तस्राव, संक्रमण या असंवेदनता के लिए एलर्जिक प्रक्रिया हो सकती है। नियमित आउटपेशेंट प्रक्रिया के फलस्वरूप रोपण को प्रयोग में लाने से पहले चार से आठ हफ्तों के स्वास्थ्य लाभ की अवधि आवश्यक होती है। डिवाइस विशेषकर ज्यादा जटिल हवा वाली यूनिटें स्वयं ही गलत ढंग से कार्य कर सकती हैं या क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
स्खलन एवं जननक्षमता भी ऐसे प्रमुख मसले होते हैं जिनका सामना लकवाग्रस्त लोगों को करना पड़ता है। पुरुष यह जानना चाहते हैं कि क्या मैं अभी भी पिता बन सकता हूं? स्ख्लन हमेशा संभव नहीं होता पर सक्षम शुक्राणु को प्राप्त करने के तरीके हैं। घर पर या क्लीनिकल अभिविन्यास में स्खलन लाने का वाइब्रेटर एक सस्ता और काफी भरोसेमंद उपकरण होता है। वाइब्रेटरी पद्धति अगर सफल नहीं होती है तो रेक्टल प्रोब इलेक्ट्रोइजाकुलेशन एक विकल्प होता है (यद्यपि आसपास मौजूद अनेक तकनीशियनों के साथ क्लीनिक में)। पशुपालन से उधार लेकर इलेक्ट्रोइजाकुलेशन रेक्टम में एक प्रोब रख्ता है, मेजर्ड इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन स्खलन उत्पन्न करता है। शुक्राणु के एक बार एकत्रित कर लिए जाने पर उनका प्रयोग परखनली प्रविधियों और माइक्रोमैनिपुलेशन समेत कृत्रिम वीर्यारोपण के विभिन्न तरीकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कई बार प्राप्त किये गये शुक्राणु स्वस्थ तो होते हैं लेकिन अच्छे तैराक नहीं होते और अंडे को भेदने के लिए पर्याप्त सख्त नहीं होते। अपनी घटी हुई गतिशीलता के कारण शुक्राणु को थोड़ा हाई-टेक सहायता की जरूरत होती है। इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) का हालिया विकास जो कि ऊसाइट (अंडे) में अकेले परिपक्व शुक्राणु के सीधे इंजेक्शन से जुड़ा होता है, अक्सर गर्भाधान की ओर ले जा सकता है। सफलता की बहुतेरी कहानियां हैं लेकिन हाई-टेक की सहायता वाला जनन स्लैम-डंक नहीं है। यह भावनात्मक रूप से परेशान करने वाला और काफी महंगा विकल्प हो सकता है। फालिज के मसलों में अनुभवी जनन क्षमताविशेषज्ञ से तथ्य और उपचार विकल्प प्राप्त कीजिए।
जनन-अक्षमता से परेशान कुछ युगलों ने महिला को गर्भवती बनाने के लिए दाता शुक्राणु (शुक्राणु बैंक से) का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है। हो सकता है कि दंपति बच्चों को गोद लेने के उपलब्ध सराहनीय विकल्प को आजमाना चाहें।
आघात के बाद सेक्स : दिल की बीमारी, आघात या सर्जरी का मतलब यह नहीं होता कि संतुष्टिदायक यौन जीवन का खात्मा हो गया है। स्वास्थ्य लाभ के प्रथम चरण के बाद लोग पाते हैं कि प्यार करने का वही रूप जिसका वे पहले आनंद लिया करते थे, अभी भी बरकरार है। यह पूरी तरह से भ्रम है कि यौन जीवन की फिर से शुरुआत अक्सर दिल के दौरे, आघात या एकाएक मौत का कारण बनती है।
फिर भी, प्रदर्शन-क्षमता को लेकर भय यौन रुचि एवं क्षमता में बहुत कमी ला सकता है। स्वास्थ्य लाभ के बाद, आघात से बच निकलने वाले अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। यह सामान्य बात है और 85 प्रतिशत मामलों में यह तीन महीनों के भीतर खत्म हो जाता है।
यकीनन, कोई व्यक्ति अपाहिज बना देने वाली बीमारी या चोट के बाद जोड़ीदार के साथ रोमांटिक एवं आत्मीय रिश्तों को जारी रख सकता है या उनकी शुरुआत कर सकता है, लेकिन दैहिक मसलों एवं अनुभूतियों पर चर्चा करना और निस्संकोच होकर आत्मीयता व्यक्त करने के नये तरीकों की तलाश करना आवश्यक है। जो कुछ भी संतुष्टिदायक एवं आनंदप्रद जान पड़ता है वह ठीक है बशर्ते कि दोनों लोग रजामंद हों।
जहां यह कहा जाता है कि सबसे बड़ा यौन अंग मस्तिष्क होता है वहीं अपने यौन व्यक्तित्व में बड़े समायोजन करना हमेशा आसान नहीं होता। पक्षाघात के बाद स्वस्थ रिश्ते बनाने या बनाये रखने को लेकर भय या चिंता की अनुभूतियों से पार पाने के लिए पेशेवर सलाह आवश्यक हो सकती है।
सुरक्षित सेक्स : यौन संचरित बीमारी (गोनोरिया, सिफलिस, हर्पीज और एचआईवी वाइरस समेत एसटीडी) का जोखिम पहले जितना ही पक्षाघात के बाद भी बना रहता है। यौन संचरित बीमारियों को स्पर्मिसाइडल जेल वाले कंडोम के प्रयोग से रोकिये।
स्रोत: यूनिवर्सिटी आफ एलाबामा/बर्मिंघम - रीढ़ रज्जु की चोट की द्वितीयक अवस्थाओं पर आरआरटीसी (http://www.spinalcord.uab.edu), पक्षाघात के इलाज के लिए मियामी प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल एमएस सपोट फाउंडेशन


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